यह वृत्ति उन्ही व्यक्तियों में हो सकती है जो इसका इस्तेमाल करके अपने पाशविक कुकृत्यों पर आवरण डालना चाहते हैं।
4.
यह वृत्ति उन्ही व् यक्तियों में हो सकती है जो इसका इस्तेमाल करके अपने पाशविक कुकृत्यों पर आवरण डालना चाहते हैं ।
5.
इसलिए सत्य के साथ शिव शब्द का उल्लेख आया है सत्य ईश्वर का पर्याय है जहा सत्य है वहा ईश्वर है सत्य पर आवरण डालना ईश्वरीय तत्व को सामने न आने देना है
6.
3 सीपी मे रजत का ज्ञान प्रातिभासिक स्तर पे सत है, अर्थात यह कुछ क्षणो हेतु सत है ऐसी स्थिति मे इस को भ्रम नही कहा जा सकता है 4 ब्रह्म की समस्या का विवेचन करने हेतु अविधा का सहारा लेते है, सत पे आवरण डालना और असत को उस पर विक्षेपित करना ये माया के दो कार्य है परंतु अविधा की स्वयं अपनी सत्ता नही है इस स्थिति मॅ वह आवरण-विक्षॆप जैसे कार्य नही कर सकती है